न्यूज़ीलैंड में स्थित वेटोमो गुफाएं अपने चमकीले कीड़ों और खूबसूरत चट्टानी संरचनाओं के लिए विश्वविख्यात हैं। यहां की गुफाओं में घूमते समय आपको न केवल प्रकृति की कलाकृतियाँ दिखाई देती हैं बल्कि इनमें छिपा इतिहास और भूविज्ञान भी समझ में आता है। इन गुफाओं की खोज की कहानियाँ और यहां बसने वाले जीव-जंतु, इसे एक रहस्यमयी और जिज्ञासु स्थान बनाते हैं।
चमकते हुए कीड़े
वेटोमो गुफाओं का मुख्य आकर्षण हैं ग्लोवॉर्म्स, जो वास्तव में कीड़े नहीं बल्कि मच्छरों की एक प्रजाति हैं। इनका वैज्ञानिक नाम एराचनोकैम्पा ल्यूमिनोसा है। ये जीव अपने शिकार को आकर्षित करने के लिए नीली चमक पैदा करते हैं, जिससे पूरी गुफा तारों से भरे आसमान की तरह दिखाई देती है। यह दृश्य देखने में जितना खूबसूरत है विज्ञान की दृष्टि से उतना ही मजेदार भी।
गुफाओं की बनने की प्रक्रिया
ये गुफाएं मुख्यतः चूना पत्थर से बनी हैं जिसका निर्माण समुद्री जीवों की हड्डियों और खोलों से हुआ है। टेक्टोनिक गतिविधियों के कारण यह चूना पत्थर की चट्टान समुद्र से उठकर जमीन पर आ गई और लगभग 30 मिलियन वर्षों के दौरान वर्षा जल ने इसे घिसते हुए गुफाओं और दरारों का निर्माण किया।
मानव और गुफा का इतिहास
वेटोमो गुफाओं की खोज में माओरी प्रमुख ताने टिनोरौ का बड़ा हाथ रहा है। 1800 के दशक में उन्होंने और एक स्थानीय सर्वेक्षक ने मिलकर इन गुफाओं को दुनिया के सामने लाया। इसके बाद 1904 में स्थानीय माओरी गाइड ने पर्यटकों को यहां लाना शुरू किया जो आज भी जारी है।
पर्यावरणीय सजगता और संरक्षण
गुफाओं में नाजुक स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स को छूने से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि मानव स्पर्श से इनकी प्राकृतिक बढ़ोतरी प्रभावित हो सकती है। इसलिए गुफाओं की सैर करते समय पर्यटकों से विशेष सावधानियां बरतने की अपेक्षा की जाती है।
जैव विविधता का खजाना
गुफाओं में रहने वाले अन्य जीवों में केव वेटा या केव क्रिकेट शामिल हैं जिसे न्यूजीलैंड में पाई जाने वाली 70 से अधिक प्रजातियों में से एक माना जाता है। इस प्रजाति के कुछ सदस्य इतने बड़े होते हैं कि उन्हें दुनिया के सबसे भारी कीड़ों में गिना जाता है।