भारतीय समाज में शादी को एक नई शुरुआत के रूप में देखा जाता है जहां न केवल दो इंसान बल्कि दो परिवार भी एक-दूसरे से जुड़ते हैं। इस नई शुरुआत के साथ खासकर महिलाओं के लिए जीवन में कई प्रकार के बदलाव आते हैं। नई जिम्मेदारियां, नया परिवार और बदलती जीवनशैली उनके दैनिक रूटीन को प्रभावित करती है। इसमें सबसे आम बदलाव जो देखा जाता है वह है वजन में बढ़ोतरी।
नई जिम्मेदारियों का बोझ
शादी से पहले जहां महिलाएं अपनी सेहत और फिटनेस का खास ख्याल रखती हैं वहीं शादी के बाद इसे बनाए रखना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है। नए परिवार में अपनी भूमिका को स्थापित करने घरेलू और सामाजिक जिम्मेदारियों को संभालने की कोशिश में अक्सर वे अपनी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को नज़रअंदाज कर बैठती हैं।
सामाजिक मान्यताएँ और उनका प्रभाव
कुछ समाजों में यह मान्यता प्रचलित है कि शादी के बाद बहू का वजन बढ़ना खुशहाली का संकेत है। इस धारणा के चलते नई बहू को परिवार के सदस्यों द्वारा अधिक मात्रा में घी और तेल युक्त खाना परोसा जाता है। इस प्रकार की आदतें उनके वजन बढ़ने का कारण बनती हैं।
आहार में बदलाव
शादी के बाद महिलाओं के खान-पान में भी महत्वपूर्ण बदलाव आते हैं। ससुराल में अक्सर उन्हें अपने पति और उसके परिवार की पसंद का खाना बनाना पड़ता है जिसमें अधिक मसाले और तेल का इस्तेमाल हो सकता है। इस तरह के आहार परिवर्तन उनके शरीर पर असर डालते हैं और वजन बढ़ने लगता है।
जीवनशैली में बदलाव और उसके प्रभाव
शादी के बाद महिलाओं की जीवनशैली में भी कई तरह के बदलाव आते हैं। सेक्सुअली एक्टिव होने के कारण और कई बार गर्भनिरोधक गोलियों के उपयोग से भी उनका वजन बढ़ सकता है। इसके अलावा नई जिम्मेदारियों का तनाव उन्हें स्ट्रेस ईटिंग की ओर ले जाता है जिससे वजन और बढ़ता है।