भारत में परिवहन के क्षेत्र में विकास की गति निरंतर तेज होती जा रही है। इस दिशा में एक बड़ी पहल के रूप में चेन्नई-बेंगलुरु एक्सप्रेसवे उभरा है जिसका उद्घाटन इस वर्ष के दिसंबर में होने की संभावना है। यह एक्सप्रेसवे दो प्रमुख दक्षिणी शहरों, चेन्नई और बेंगलुरु को जोड़ेगा जिससे न केवल यात्रा का समय कम होगा बल्कि यह औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा देगा।
परियोजना की विशेषताएँ और तकनीकी जानकारी
चेन्नई-बेंगलुरु एक्सप्रेसवे की कुल लागत लगभग 18,000 करोड़ रुपये है और इसकी लंबाई 258 किलोमीटर है। इस एक्सप्रेसवे का निर्माण कर्नाटक के होसकोटे से शुरू होकर तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बदूर में समाप्त होता है। इस मार्ग में 41 अंडरपास और 17 फ्लाईओवर शामिल हैं जो यातायात को आसान और आरामदायक बनाने में मदद करेंगे। इसकी अधिकतम स्पीड लिमिट 120 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित की गई है जिससे यात्रा की गति में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी।
यात्रा में लगेगा कम समय
इस एक्सप्रेसवे के खुलने से चेन्नई और बेंगलुरु के बीच की दूरी में लगने वाला समय लगभग तीन-चौथाई घटकर सिर्फ सवा दो घंटे रह जाएगा। इस कमी से न केवल पर्यटन को बल मिलेगा बल्कि स्थानीय व्यवसाय और औद्योगिक क्षेत्रों में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एक्सप्रेसवे के दोनों ओर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना से स्थानीय उत्पादन इकाइयों को नए बाजारों तक पहुँचने में सहायता मिलेगी जिससे व्यापारिक गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव
चेन्नई-बेंगलुरु एक्सप्रेसवे जिन शहरों और कस्बों से होकर गुजरेगा उनमें होसकोटे, मलूर, बंगरापेट, कोलार गोल्ड फील्ड्स, चित्तूर, रानीपेट और श्री पेरुंबदुर शामिल हैं। इस एक्सप्रेसवे के कारण इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे साथ ही स्थानीय बाजारों को भी नई ऊर्जा मिलेगी। विशेषकर कोलार गोल्ड फील्ड्स जैसे ऐतिहासिक स्थलों के पर्यटन को भी बल मिलेगा।