आज भारत ने सड़क नेटवर्क के माध्यम से अपार सुविधाओं का निर्माण किया है। इससे न केवल यातायात में आसानी हुई है बल्कि आम लोगों का कीमती समय भी बचा है। देशव्यापी हाईवे के नेटवर्क ने न केवल देश की सूरत बदली है बल्कि विकास की दिशा में तेजी लाई है। इस विशाल नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है राष्ट्रीय राजमार्ग 44 जो उत्तर से दक्षिण भारत को जोड़ता है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 44 की विशेषताएं
यह हाईवे जो पहले NH-7 के नाम से जाना जाता था अब भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग है। इसकी कुल लंबाई 3,745 किलोमीटर है और यह श्रीनगर से शुरू होकर कन्याकुमारी तक जाता है। इसके रास्ते में यह 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश से होकर गुजरता है जिसमें जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु शामिल हैं।
शहरों और संस्कृतियों का संगम
एनएच-44 भारत के कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक शहरों से होकर गुजरता है। इस हाईवे पर यात्रा करते समय यात्री श्रीनगर, कुरूक्षेत्र, आगरा, ग्वालियर, नागपुर जैसे 30 से अधिक शहरों का अनुभव कर सकते हैं। यह हाईवे न केवल शहरों को जोड़ता है बल्कि विभिन्न सांस्कृतिक धरोहरों को भी आपस में बांधता है जिससे यात्री विविधता का आनंद उठा सकते हैं।
प्राकृतिक सुंदरता के दर्शन
इस हाईवे पर यात्रा करते हुए आपको भारत के विविध भौगोलिक विशेषताओं का अनुभव होगा। बर्फ से ढके पहाड़ों से लेकर लंबे मैदानों तक और रास्ते में पड़ने वाले ऐतिहासिक स्थलों के नजारे इस यात्रा को और भी मनमोहक बनाते हैं। यह हाईवे पर्यटकों के लिए न केवल यात्रा का साधन है बल्कि एक अनुभव की तरह है जो उन्हें भारत की सुरम्य सुंदरता से परिचित कराता है।
पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में एक कदम
एनएच 44 पर बना भारत का पहला जानवरों के लिए अंडरपास यह दर्शाता है कि कैसे इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय संरक्षण को भी प्रमुखता दी जा रही है। मध्यप्रदेश में कान्हा नेशनल पार्क के पास स्थित यह अंडरपास जानवरों के लिए सुरक्षित मार्ग प्रदान करता है और साथ ही साथ वाहन चालकों के लिए भी यात्रा को सुरक्षित बनाता है।
स्पीड लिमिट और सुरक्षा निर्देश
एनएचएआई के ताजा दिशानिर्देशों के अनुसार एनएच 44 पर स्पीड लिमिट का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। भारी वाहनों के लिए अधिकतम गति 100 किमी प्रति घंटा और दोपहिया वाहनों के लिए 80 किमी प्रति घंटा निर्धारित की गई है जिससे यात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।है।