उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में एक छोटा सा कस्बा है खुटहां जिसे दामाद का पुरा के नाम से जाना जाता है। इस जगह की खासियत है कि यहां की ज्यादातर आबादी दामादों की है। करीब तीन दशक पहले इस कस्बे के विकास की शुरुआत हुई थी जब पहली बार दामादों ने यहां अपने लिए घर बनाना शुरू किया।
दामादों का बसना एक अनोखा सिलसिला
मिर्जापुर जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में पहले बहुत कम आबादी थी। ग्राम प्रधान ने जब एक दामाद को रहने के लिए जगह दी तो इसके बाद से यहां दामादों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। आज यहां करीब 40 घर हैं जिनमें 80 प्रतिशत से अधिक घर दामादों के हैं जिन्होंने मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली और आस-पास के जनपदों से आकर यहां बसेरा बनाया है।
ग्रामीण जीवन और सामाजिक बदलाव
इस अनोखी बसावट की वजह से खुटहां कस्बे में सामाजिक ढांचे में भी खास बदलाव आया है। यहां के निवासी जिनमें ज्यादातर दामाद हैं ने इस जगह को अपना स्थायी घर बना लिया है। इससे पहले जहां यह जगह खाली पड़ी थी वहीं अब यहां एक पूरा समुदाय बस चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि दामादों की यह बसावट ने गांव में नई जान फूंक दी है।
आजीविका और आर्थिक प्रभाव
इस गांव में दामादों के आने से न सिर्फ सामाजिक संरचना में परिवर्तन हुआ है, बल्कि आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ी हैं। यहां के लोगों ने छोटे-छोटे व्यापार शुरू किए हैं, जैसे कि किराने की दुकानें, चाय की दुकानें और अन्य स्थानीय व्यापार जो गांव की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद कर रहे हैं।
खुटहां का विकास और चुनौतियां
आगे चलकर खुटहां कस्बे के विकास की कई संभावनाएं हैं। स्थानीय प्रशासन और समुदाय के लोग इस बात के लिए प्रयासरत हैं कि यहां की बुनियादी सुविधाओं में सुधार हो जैसे कि सड़कों का निर्माण, बिजली और पानी की बेहतर व्यवस्था। इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर भी जोर दिया जा रहा है।