भारत में खरीफ सीजन विशेषकर बारिश के मौसम के दौरान होता है जब किसान अपनी खेती के लिए नए सिरे से तैयारी करते हैं। हरियाणा में इस दौरान मुख्यतः कपास और धान की खेती की जाती है। धान जिसे चावल का मुख्य स्रोत भी माना जाता है की खेती विशेष रूप से अच्छे मानसून की परिस्थितियों में फलती-फूलती है।
बीज चयन की प्रक्रिया
धान की खेती का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है उचित बीज का चयन। अच्छी गुणवत्ता के बीज से न केवल उत्पादन में बढ़ोतरी होती है बल्कि फसल की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। हरियाणा के किसान आमतौर पर 1121 और 1718 जैसी धान की उन्नत किस्मों का चयन करते हैं जो स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुकूल होती हैं।
नर्सरी और रोपाई की तकनीक
बीज का चयन हो जाने के बाद नर्सरी में बीजों को बोया जाता है जहाँ से युवा पौधे तैयार किए जाते हैं। इस प्रक्रिया में खास तौर पर पानी की आवश्यकता होती है। जैसे ही मानसून शुरू होता है ये युवा पौधे मुख्य खेतों में रोपे जाते हैं। इस दौरान सिंचाई का सही प्रबंधन बहुत जरूरी होता है ताकि पौधे सही से बढ़ सकें।
उर्वरक और कीटनाशक का प्रयोग
धान की फसल के लिए उर्वरक और कीटनाशकों का सही मात्रा में और सही समय पर उपयोग फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाता है। किसानों को चाहिए कि वे खेती से पहले खेत की उर्वरता जांच लें और तदनुसार उर्वरक का चयन करें।
लागत और मुनाफे का आंकलन
हरियाणा में धान की खेती में लगभग 20 हजार रुपये प्रति एकड़ की लागत आती है जिसमें बीज, उर्वरक और कीटनाशक शामिल हैं। फसल अच्छी होने पर किसान प्रति एकड़ 50 हजार रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं। यह मुनाफा बाजार के भाव और उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है।
आने वाले सीजन की योजना
मानसून की शुरुआत के साथ ही किसानों को अपनी खेती की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। तैयारी में सही बीज चुनना नर्सरी में बीज बोना उर्वरक और कीटनाशकों की खरीद शामिल है। इस प्रक्रिया को समय से करने पर अच्छे मानसून का पूरा लाभ उठाया जा सकता है।