आज के अर्थयुग में जहां पढ़े-लिखे लोग अपने रोजगार के नए अवसर तलाश रहे हैं, वहीं कई लोग खेती की ओर रुख कर रहे हैं। खेती न केवल पारंपरिक जीवनशैली को पुनर्जीवित करती है बल्कि आजकल यह अच्छी कमाई का जरिया भी बन गई है। इस आर्टिकल में हम जीरे की खेती की चर्चा करेंगे जो न केवल खाने में उपयोगी होता है बल्कि इसमें औषधीय गुण भी होते हैं।
जीरे की खेती की महत्वपूर्णता
जीरा एक ऐसा मसाला है जो भारतीय रसोईघरों में आमतौर पर पाया जाता है। इसकी डिमांड इसके औषधीय गुणों के कारण साल भर बनी रहती है। जीरे के पौधे को उगाने के लिए लगभग 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान और सूखी रेतीली दोमट मिट्टी बेस्ट होती है। इसकी खेती भारत में विशेष रूप से अक्टूबर से नवंबर के महीने में की जाती है और फसल फरवरी में काटी जाती है।
जीरे की अच्छी किस्में और उनकी खेती
जीरे की खेती के लिए हल्की और दोमट मिट्टी को बेहतर माना जाता है। जीरे की कुछ प्रमुख किस्में जैसे कि आरजेड 19, 209, आरजेड 223 और जीसी 1-2-3 की किस्में अच्छी मानी जाती हैं। इन किस्मों का उपज क्षमता भी उत्कृष्ट होती है जिससे किसानों को अच्छी कमाई हो सकती है।
जीरे से कमाई के अवसर
भारत में जीरे की खेती मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान में की जाती है। यहाँ की जलवायु जीरे की खेती के लिए उपयुक्त है। इस खेती में निवेश के मुकाबले लाभ काफी अधिक होता है जिससे यह खेती आकर्षक बनती है। जीरे की कीमतें बाजार में अच्छी होने के कारण किसान इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं।
खेती की आधुनिक तकनीकें
जीरे की खेती में आधुनिक तकनीकों का प्रयोग भी बढ़ रहा है। ड्रिप सिंचाई और मृदा परीक्षण जैसी तकनीकें खेती को और भी लाभकारी बनाती हैं। इन तकनीकों के प्रयोग से न केवल पानी और खाद की बचत होती है बल्कि फसल की गुणवत्ता और उपज भी बढ़ती है।