राजा-महाराजाओ के टाइम तो फ्रीज नही था फिर कहां से आती थी बर्फ, इसको पिघलने से बचाने के लिए होते थे ये खास काम

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गर्मी का मौसम आते ही फ्रिज से बर्फ निकालना हमारे लिए बेहद आम बात हो गई है। लेकिन कभी सोचा है कि जब फ्रिज नहीं होते थे तब राजा-महाराजाओं और मुगलों के लिए बर्फ कहां से आती थी?

मुगल काल में बर्फ का आगमन

ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि बिना फ्रिज के युग में भी बर्फ का इस्तेमाल खासी महत्वपूर्ण था। अंग्रेजों, मुगलों और विभिन्न राजघरानों ने अपनी शीतलता के लिए पहाड़ों से बर्फ मंगवाने की प्रथा शुरू की थी। हुमायूं जैसे मुगल बादशाहों ने 1500 शताब्दी में कश्मीर से बर्फ की सिल्लियाँ मंगवाना शुरू किया था। ये बर्फ की सिल्लियाँ न केवल पेय पदार्थों को ठंडा करने में काम आती थीं बल्कि फलों के रस को भी बर्फ में जमाकर बाद में शर्बत के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।

बर्फ को पिघलने से बचाने की तकनीक

मुगल काल में बर्फ को पिघलने से बचाने के लिए उस पर पोटेशियम नाइट्रेट (सॉल्टपीटर) छिड़का जाता था और फिर बोरियों में लपेटकर रखा जाता था। यह तकनीक बर्फ को लंबे समय तक संरक्षित रखने में मदद करती थी, जिससे यह गर्मियों में भी उपयोगी रहती थी।

बर्फ बनाने की मशीन का विकास

भारत में प्राकृतिक रूप से बर्फ पाना मुश्किल था लेकिन अमेरिका में प्राकृतिक बर्फ आसानी से मिल जाती थी। इसका इस्तेमाल करते हुए फ्रेडरिक ट्यूडर ने बर्फ के निर्माण और डिस्ट्रिब्यूशन का बिजनेस शुरू किया। उन्होंने बर्फ को चूरे में लपेटकर और आइस चेंबर्स के साथ विश्व भर में भेजना शुरू किया, जिससे उन्हें ‘आइस किंग’ की उपाधि मिली।

बर्फघर का निर्माण

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के माध्यम से बर्फ को लंबी दूरियों तक पहुंचाने के लिए बर्फघरों का निर्माण किया गया। ये बर्फघर विशेष रूप से महंगे होते थे और मुख्य रूप से राजा-महाराजाओं या अमीर घरानों के पास ही होते थे। बर्फघर बर्फ को स्टोर करने और उसे लंबे समय तक ठंडा रखने का कार्य करते थे।