भारतीय मौसम में मॉनसून की शुरुआत के साथ ही कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। इनमें से एक है घरों में गीजर का इस्तेमाल। दिल्ली और अन्य राज्यों में इस समय मूसलाधार बारिश के चलते अक्सर टंकी का पानी ठंडा पड़ जाता है। ऐसे में गीजर की डिमांड बढ़ जाती है परंतु इसके साथ ही बढ़ता है इसके खतरों का जोखिम भी।
शॉर्ट सर्किट की वजह से दुर्घटना की संभावना
बारिश के दौरान नमी में बढ़ोतरी होती है जिससे विद्युत उपकरणों में शॉर्ट सर्किट की संभावना बढ़ जाती है। गीजर की वायरिंग या कनेक्शन में किसी प्रकार की खराबी बारिश की वजह से शॉर्ट सर्किट का कारण बन सकती है। ऐसे में आग लगने का खतरा भी रहता है जिससे न सिर्फ वित्तीय हानि हो सकती है बल्कि यह जानलेवा भी सिद्ध हो सकता है।
जंग और उसके प्रभाव
नमी के कारण गीजर के मेटल के हिस्सों पर जंग लगने की समस्या आम होती है। जंग लगने से गीजर की उम्र और इसकी कार्य क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। इससे गीजर की दक्षता घटती है और मरम्मत की लागत बढ़ती है।
बिजली की खपत में बढ़ोतरी
बारिश के मौसम में ठंड के कारण गर्म पानी की आवश्यकता अधिक होती है जिसके लिए गीजर को अधिक बिजली की जरूरत पड़ती है। इससे न केवल बिजली का बिल बढ़ता है बल्कि ऊर्जा की खपत भी बढ़ती है।
पानी की गुणवत्ता और गीजर पर इसके प्रभाव
बारिश के पानी में अक्सर कई तरह की अशुद्धियां होती हैं जो गीजर के अंदर जमा हो सकती हैं। यह गीजर की कैपेसिटी को प्रभावित कर सकती हैं और इसकी दक्षता को कम कर सकती हैं।
सावधानियाँ कैसे बरतें?
गीजर का उपयोग करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- गीजर की वायरिंग और कनेक्शन की जांच पड़ताल करें।
- गीजर की नियमित सफाई आवश्यक है ताकि इसमें जंग न लगे।
- बेहतरीन क्वालिटी का गीजर चुनें जो नमी और जंग के प्रति प्रतिरोधी हो।
- गीजर को अधिक लोड न दें क्योंकि इससे यह खराब हो सकता है।