हिंदू धर्म में घंटियों को बहुत अहमियत दी गई है। हर मंदिर के प्रवेश द्वार पर आपको एक घंटी जरूर मिलेगी। इसका कारण है कि घंटी बजाने से मनुष्य का मन एकाग्र होता है और बाहरी शोर से उसका ध्यान भटकता नहीं है। यह एक प्रकार से सांकेतिक है कि आप एक शांत और पवित्र स्थान में प्रवेश कर रहे हैं जहाँ आपको अपने आंतरिक मन की ओर मुड़ना है। इसे बजाने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है कहा जाता है कि घंटी की ध्वनि से उत्पन्न तरंगें मनुष्य के चारों ओर के वातावरण को शुद्ध करती हैं और मन को एकाग्र करती हैं।
मंदिर में घंटी बजाने की रीति
मंदिर में प्रवेश करते समय घंटी बजाना एक रिवाज है जिसका पालन अधिकतर हिंदू करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है दिव्य शक्तियों को जागृत करना और संकेत देना कि भक्त उनकी उपस्थिति में आ गया है। इसके अलावा यह मान्यता है कि घंटी बजाने से आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।
मंदिर से निकलते समय घंटी बजाने की मनाही क्यों?
जब कोई व्यक्ति मंदिर में प्रवेश करता है तो उसके मन में कई तरह के विचार चल रहे होते हैं। घंटी बजाने से उसके मन की विचलित ऊर्जा शांत होती है और ध्यान दिव्य प्रतिमा पर केंद्रित होता है। यहां तक कि विज्ञान भी कहता है कि घंटी की आवाज मन को शांत करने में मदद करती है।
वहीं मंदिर से निकलते समय घंटी बजाने से यह मान्यता है कि जो सकारात्मक ऊर्जा और शांति का अनुभव आपको मिली है, वह विक्षिप्त हो जाती है। इसे बजाना इसलिए अवॉयड किया जाता है ताकि आप उस पवित्रता और शांति को अपने साथ बाहर ले जा सकें और उसे बनाए रख सकें।
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