Chanakya Niti: चाणक्य जो भारतीय इतिहास के महान विद्वानों और कूटनीतिज्ञों में से एक हैं उन्होंने अपनी नीतियों के माध्यम से यह सिखाया है कि किस प्रकार से व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को संवारा जा सकता है। उनकी नीतियां न केवल राजा और राजकाज के लिए बल्कि सामान्य मनुष्य के दैनिक जीवन के लिए भी मार्गदर्शक साबित होती हैं। आज हम चाणक्य नीति के उस पहलू पर चर्चा करेंगे जिसमें उन्होंने कुछ विशेष प्रकार के लोगों से दूरी बनाए रखने की सलाह दी है।
गुस्सैल व्यक्तियों से बचाव
चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति बार-बार और आसानी से गुस्सा हो जाते हैं उनसे हमेशा दूरी बनाकर चलनी चाहिए। ऐसे लोगों के साथ जीवन में अनावश्यक तनाव और संघर्ष की संभावना रहती है। गुस्सा एक ऐसी भावना है जो न केवल संबंधों को कमजोर करती है बल्कि यह व्यक्ति की निजी और पेशेवर प्रगति को भी बाधित करती है। इसलिए जीवन में सुकून और शांति बनाए रखने के लिए ऐसे व्यक्तियों से दूरी जरूरी है।
आलस्य है एक बाधा
आलसी व्यक्ति वह होता है जो अपने कर्तव्यों को निभाने में हमेशा विलम्ब करता है। चाणक्य की नीति के अनुसार ऐसे व्यक्तियों की संगति से भी बचना चाहिए क्योंकि आलस्य संक्रामक हो सकता है। यदि आप ऐसे लोगों के साथ समय बिताते हैं तो आपकी उत्पादकता और टाइम मैनेजमेंट की क्षमता पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जीवन में सफलता के लिए कर्मठता और समर्पण आवश्यक होते हैं जो कि आलस्य के साथ संभव नहीं है।
लालच से दूरी
लालची व्यक्ति वह होता है जो हमेशा अधिक पाने की इच्छा रखता है और इस क्रम में वह अक्सर दूसरों का इस्तेमाल करता है। ऐसे लोगों की संगति व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों ही पहलुओं में हानिकारक सिद्ध हो सकती है। चाणक्य की नीति के अनुसार ऐसे व्यक्तियों से सावधान रहना और उनसे दूरी बनाए रखना आपके जीवन के लिए लाभदायक हो सकता है।
निगेटिव सोच वाले व्यक्ति
नकारात्मक सोच वाले लोग वे होते हैं जिनकी दृष्टिकोण सदैव हानि और विफलता की ओर अग्रसर होती है। ऐसे व्यक्तियों के साथ समय बिताने से आपकी खुद की सोच भी प्रभावित हो सकती है जो कि आत्मविश्वास और सकारात्मकता को कम कर सकती है। चाणक्य की नीति के अनुसार जीवन में सकारात्मक और उत्थानात्मक सोच रखने वाले व्यक्तियों की संगति अधिक उपयोगी और फलदायक होती है।
आलोचना करने वाले व्यक्ति
कुछ लोग होते हैं जिनका मुख्य कार्य ही दूसरों की आलोचना करना होता है। ऐसे लोग न केवल नकारात्मकता फैलाते हैं बल्कि अक्सर दूसरों के मनोबल को भी गिराते हैं। चाणक्य के अनुसार ऐसे व्यक्तियों की संगति से बचना चाहिए क्योंकि यह आपके व्यक्तित्व विकास और आत्म-सम्मान पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।