इस महीने के शुरुआत में भारत की प्रमुख प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों Jio, Airtel और Vi ने अपने रिचार्ज प्लानों की कीमतों में इजाफा कर दिया। इस बढ़ोतरी के चलते सामान्य उपभोक्ता जिनका दिनचर्या का बड़ा हिस्सा इंटरनेट पर निर्भर करता है उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बढ़ोतरी की वजह से न केवल सामान्य मनोरंजन और संवाद बाधित हो रहा है बल्कि बैंकिंग, शिक्षा और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में भी कठिनाइयाँ आ रही हैं।
फ्री इंटरनेट की ओर एक कदम
उपभोक्ताओं की इस परेशानी को देखते हुए और डिजिटल इंडिया के उद्देश्य को सिद्ध करते हुए भारत सरकार ने एक नई योजना का प्रस्ताव रखा है जिसे फ्री इंटरनेट बिल कहा जा रहा है। इस प्रस्ताव के अनुसार देश के पिछड़े और गरीब वर्ग के लोगों को निशुल्क इंटरनेट सेवाएं प्रदान की जाएंगी। यह कदम उन्हें न केवल जानकारी तक पहुंच प्रदान करेगा बल्कि शिक्षा, रोजगार के अवसरों और सरकारी सेवाओं तक उनकी पहुंच को भी आसान बनाएगा।
फ्री इंटरनेट बिल का डिटेल
फ्री इंटरनेट बिल का प्रस्ताव पिछले वर्ष दिसंबर में राज्यसभा में पेश किया गया था। इस बिल को ‘राइट टू फ्री इंटरनेट’ के नाम से जाना जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य देश के हर नागरिक को बुनियादी इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराना है। इस बिल के तहत खासकर वे लोग जो दूरदराज और पिछड़े इलाकों में निवास करते हैं उन्हें विशेष ध्यान में रखा गया है।
चुनौतियाँ और सम्भावनाएं
हालांकि इस बिल का मकसद बहुत ही सराहनीय है लेकिन इसे लागू करने की राह में कई चुनौतियां भी हैं। प्रमुख चुनौतियों में इस योजना का वित्तीय प्रबंधन, तकनीकी कार्यान्वयन और इसकी पहुंच की लिमिट शामिल हैं। वित्तीय बोझ को कैसे संभाला जाएगा और तकनीकी रूप से यह सेवा कैसे सुनिश्चित की जाएगी ये प्रश्न अभी भी बने हुए हैं।