उत्तरप्रदेश के इन गांवो से होकर गुजरेगा 520KM लंबा एक्सप्रेसवे, इन 115 गांवों की जमीन कीमतों में आया उछाल

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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक जाने वाले एक्सप्रेसवे के निर्माण का मार्ग तय किया जा चुका है। यह 519.58 किलोमीटर लंबा राजमार्ग तीन राज्यों को जोड़ेगा और इसमें कुल 115 गांवों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी। इस परियोजना के लिए शुरू में 111 गांवों की जमीन शामिल थी लेकिन बाद में एक्सप्रेसवे के रास्ते में ग्रीनलैंड एरिया के आ जाने की वजह से मार्ग में बदलाव करते हुए चार और गांवों की जमीन इसमें शामिल की गई। इस वजह से एक्सप्रेसवे की लंबाई में भी तीन से चार किलोमीटर की बढ़ोतरी होगी।

महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर और इसके प्रभाव

गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे का निर्माण भारत माला परियोजना के तहत किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य देश के महत्वपूर्ण भागों को तेज और सुगम यातायात प्रणाली से जोड़ना है। इस एक्सप्रेसवे के बन जाने से उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच की यात्रा न केवल सुगम होगी, बल्कि इससे क्षेत्रीय विकास में भी बड़ी तेजी आएगी। इसके अलावा स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया

इस विशाल एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को बहुत ही सावधानीपूर्वक अंजाम दिया जा रहा है। इसे सिक्स लेन के हिसाब से विकसित किया जाना है जिसके चलते 75 मीटर चौड़ी जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इस निर्णय का उद्देश्य भविष्य में सड़क को और चौड़ा करने में किसी भी प्रकार की बाधा से बचना है।

भावी योजनाएं और चुनौतियां

एक्सप्रेसवे की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) में हाल ही में कुछ बदलाव किए गए हैं, खासकर ग्रीनलैंड एरिया को बचाने के लिए। यह बदलाव वन विभाग की बाधाओं से बचने के लिए किए गए हैं। इस बदलाव के चलते एक्सप्रेसवे का मार्ग कुछ इलाकों में घुमावदार हो गया है जिससे इसकी लंबाई में बढ़ोतरी हुई है। इस परियोजना की लागत लगभग 32,000 करोड़ रुपये अनुमानित की गई है जो इसे एक महत्वपूर्ण और महंगी परियोजना बनाती है।